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स्वयंसिद्वा

✍️योगिनी योगमाया

तेरे एक हाथ में है गुलाब तो दूजे में रख कटार
जंग है यह ज़िंदगी, यही जिंदगी है प्रेम प्यार

सब समेट एक साथ, बस रख नजर तेरी राह पर
प्रेम आए तो लग गले, पर विद्रोह भी तू ही कर

बंधनों को काट तू, तू ही स्वयं को मुक्त कर
तू ही स्वयं के संग चल, हर पीड़ा को स्वयं पार कर

तू ही स्वयं का है साथी, सारथी भी तू ही बन
कभी जंग का ऐलान हो तो वीरता का दे प्रमाण

हर क्षण नया प्रश्न चिन्ह जीवन का ही नियम है
रुक नहीं सकता है तू, , तुझे लग नही सकता है डर

आज प्रेम की तू वर्षा कर पर कल रक्त का भी मांग कर
दया कर, तू दान कर, पर राक्षसो का काट सर

न काल का भय हो तुझे न हार का हिसाब हो
मौत सत्य है मगर मौत तेरा अंत न हो

कर प्रहार हर वार पर
मांग रक्त
काट सर
प्रेम की तू वर्षा कर
पर हाथ में रख कटार
पर हाथ में रख कटार

पर हाथ में रख कटार…..

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